Government Office Video Recording Law in India – IPC, IT Act, Punishment

Law and Punishment for Recording Video in a Government Office Without Permission | सरकारी कार्यालय में वीडियो बनाने का कानून

सरकारी कार्यालय में बिना अनुमति वीडियो बनाने का कानून और सज़ा

आज के समय में मोबाइल कैमरा और सोशल मीडिया के ज़रिए लोग हर चीज़ रिकॉर्ड करना पसंद करते हैं। कई बार लोग सरकारी दफ्तरों में भी अधिकारियों या कर्मचारियों का वीडियो बना लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिना अनुमति सरकारी कार्यालय में वीडियो बनाना एक अपराध है? भारतीय कानून इसके लिए कई धाराएँ और सज़ा निर्धारित करता है।

क्या सरकारी दफ्तर में वीडियो बनाना अपराध है?

जी हाँ, अगर कोई व्यक्ति सरकारी कर्मचारी या अधिकारी का वीडियो बिना उसकी अनुमति बनाए, तो यह न केवल गोपनीयता (Right to Privacy) का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्यों में बाधा भी डाल सकता है। इस स्थिति में Indian Penal Code (IPC), Information Technology Act (IT Act 66E) और Official Secrets Act, 1923 जैसी धाराएँ लागू हो सकती हैं।

कौन-कौन से कानून लागू हो सकते हैं?

  • IPC 186 – सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी में बाधा डालना।
  • IPC 353 – सरकारी कर्मचारी पर बल या धमकी से रोकना।
  • IPC 500 – मानहानि (Defamation), अगर वीडियो से बदनामी हो।
  • IPC 509 – किसी की प्रतिष्ठा/शालीनता को ठेस पहुँचाना।
  • IT Act 66E – किसी व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन करना।
  • Official Secrets Act, 1923 – सरकारी गोपनीय जानकारी रिकॉर्ड करना।

संभावित सज़ा और जुर्माना

नीचे दी गई टेबल में बताया गया है कि किन धाराओं के तहत सज़ा मिल सकती है:

धारा / अधिनियमअपराध का विवरणसंभावित सज़ा
IPC 186सरकारी कर्मचारी को काम से रोकना3 महीने कैद या ₹500 जुर्माना
IPC 353सरकारी कर्मचारी से दुर्व्यवहार या बल प्रयोग2 साल कैद + जुर्माना
IPC 500मानहानि (Defamation Law)2 साल कैद + जुर्माना
IPC 509प्रतिष्ठा या शालीनता को ठेस पहुँचाना1 साल कैद + जुर्माना
IT Act 66Eप्राइवेसी का उल्लंघन (Privacy Law in India)3 साल कैद + ₹2 लाख जुर्माना
Official Secrets Actगोपनीय जानकारी की रिकॉर्डिंग3 साल से उम्रकैद तक

Supreme Court का दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में Right to Privacy को मौलिक अधिकार माना। इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति का बिना अनुमति वीडियो बनाना सीधे तौर पर उसके अनुच्छेद 21 के अधिकार का उल्लंघन है। यह Supreme Court Right to Privacy Judgement आज भी एक महत्वपूर्ण मिसाल है।

कब मामला और गंभीर हो सकता है?

  • अगर वीडियो सोशल मीडिया या पब्लिक प्लेटफॉर्म पर डाल दिया गया।
  • अगर वीडियो में सरकारी गोपनीय जानकारी (Official Secrets Act 1923) कैप्चर हो गई।
  • अगर वीडियो के कारण सरकारी काम में बाधा आई।
  • अगर वीडियो से किसी अधिकारी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा।

FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. क्या मैं RTI या शिकायत के लिए सबूत के तौर पर वीडियो बना सकता हूँ?

अगर आप वीडियो को कानूनी सबूत (Legal Evidence in India) के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो पहले संबंधित विभाग या अधिकारी से अनुमति लेना ज़रूरी है। बिना अनुमति सबूत मान्य नहीं होगा और आप पर मुकदमा भी हो सकता है।

Q2. क्या मीडिया या पत्रकार वीडियो बना सकते हैं?

पत्रकारों को भी बिना अनुमति सरकारी कार्यालय में वीडियो रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं है। उन्हें भी Press Law in India और आधिकारिक अनुमति का पालन करना होता है।

Q3. क्या यह अपराध जमानती है?

कुछ धाराएँ (जैसे IPC 186) जमानती हो सकती हैं, लेकिन IT Act 66E और Official Secrets Act के मामले गंभीर हैं और इनमें आसानी से ज़मानत नहीं मिलती।

निष्कर्ष

सरकारी कार्यालय में बिना अनुमति वीडियो बनाना कानूनन अपराध है। ऐसा करने पर आपके खिलाफ IPC, IT Act और Official Secrets Act की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है, जिससे जेल और भारी जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमेशा अनुमति लेकर ही किसी भी प्रकार की रिकॉर्डिंग करें।

Scroll to Top